Israel new technology: भारत और मालदीव के लक्षद्वीप विवाद में अब भारत का दोस्त माना जाने वाले इजरयाल ने एंट्री ले ली है. उसने लक्षद्वीप की तारीफ करते हुए कहा कि वो जल्द ही वहां डीसेलिनेशन प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है. इस तकनीक का सीधा संबंध टूरिज्म से है.डीसेलिनेशन समुद्र किनारे स्थित टूरिस्ट प्लेस पर होता आया है. लक्षद्वीप में इस तकनीक का प्रयोग पहली बार किया जाएगा.
बता दें प्रधानमंत्री मोदी ने लक्षद्वीप यात्रा के दौरान कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए लोगों से वहां जाने की अपील की थी. जिस पर टूरिस्ट देश मालदीव के कुछ मंत्रियों ने रेसिस्ट टिप्पणियां की थी. तब से ही सोशल मीडिया पर एक दूसरे के खिलाफ युद्ध छिड़ा हुआ है. हालात इतने बिगड़ गए कि मालदीव सरकार को उन मंत्रियों को सस्पेंड करना पड़ा. असल में मालदीव में सबसे ज्यादा सैलानी भारत से ही जाते हैं.
मालदीव की इकनॉमी पर खतरा
इस सब के बीच भारतीयों का गुस्सा बना रहा तो इस देश की इकनॉमी गड़बड़ा जाएगी.बता दें कि सालाना दो लाख से ज्यादा भारतीय इस द्वीप देश में घूमने जाते हैं. साल 2020 में मालदीव में 63 हजार भारतीय सैलानी गए थे, तो 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 2 लाख 93 हजार हो गया. साल 2022 में 2 लाख 41 हजार, और 2023 तक 1 लाख 93 हजार सैलानी वहां जा चुके हैं. हालांकि मालदीव के मंत्रियों की रेसिस्ट कमेंट के बाद से लोग लिख रहे हैं कि वे इस देश में नहीं जाना चाहेंगे. हजारों लोगों ने मालदीव की अपनी टिकट तक कैंसिल करा ली है.
इजरायल का बड़ा ऐलान
इसी बीच भारत और मालदीव की जंग में कूदते हुए इजरायल ने बड़ा ऐलान किया है. भारत में इजरायली दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया है. इसमें कहा गया है कि
लक्षद्वीप को टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर विकसित करने के प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए वो तैयार है. इसके लिए वो सालभर पहले भी लक्षद्वीप विजिट कर चुका है.
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2017 में हुई थी इस तकनीक पर बात
भारत का दोस्त माने जाने वाला इजरायल तकनीकी मामलों में काफी आगे है. वो लक्षद्वीप में डीसेलिनेशन प्रोसेस से खारे पानी की अशुद्धियां दूर कर उसे साफ पानी में बदलेगा. इससे वहां साफ और मीठे पानी की समस्या पूरी तरह से खत्म हो जाएगी, जो किसी भी टूरिस्ट स्पॉट के लिए बहुत जरूरी है. पीएम मोदी ने साल 2017 में इजरायल दौरे के दौरान वहां बेहद मॉर्डन तकनीक देखी थी. इसके बाद लक्षद्वीप और अंडमान के लिए भी इस प्रोसेस पर बात की गई थी.लक्षद्वीप में साफ पानी के लिए लोग अभी भी ग्राउंड वॉटर पर निर्भर हैं जो सीमित ही होता है. अगर इसे टूरिस्ट आइलैंड की तरह बनाना है तो यहां साफ पानी की बड़ी जरूरत है. इसिलिए इजरायल इस पर इस पर काम करने जा रहा है.